Bihar Land Survey Banned: बिहार में पिछले 20 अगस्त से शुरू हुए जमीन सर्वे के काम में बड़ी अड़चनें आ रही हैं। जमीन से जुड़े दस्तावेजों को इकट्ठा करने में लोगों को काफी परेशानी हो रही है और वे प्रखंड तथा जिला कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। इस वजह से लोगों में समय सीमा को लेकर काफी नाराजगी है। अब, जनता की बढ़ती हुई नाराजगी को देखते हुए सरकार इस सर्वे की समय सीमा बढ़ाने या फिर काम को रोकने पर विचार कर रही है। इस बीच, मुख्यमंत्री ने भी पार्टी के नेताओं से इस विषय पर राय मांगी है और वे जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लेने वाले हैं।
दस्तावेज खोजने और पारिवारिक बंटवारे को लेकर छुट रहे पसीने
सरकार के जमीन सर्वे के निर्णय के कारण आम लोगों में बहुत परेशानी देखी जा रही है, खासकर इसके लिए तय की गई समय सीमा को लेकर। लोगों का मानना है कि जमीन के कागजात तैयार करना और पारिवारिक बंटवारा जैसे काम बहुत जल्दी में नहीं हो सकते। इसलिए, वे चाहते हैं कि सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे। इसके अलावा, सरकार को मिले फीडबैक के अनुसार, इस निर्णय को वापस भी लिया जा सकता है। लोगों की नाराजगी और आवश्यकता के अनुरूप सरकार इसे टालने पर भी विचार कर रही है।
सुशासन बाबु गठबंधन के नेताओं से ले रहे राय
सत्ताधारी दलों का विचार है कि आगामी विधानसभा चुनावों में जमीन सर्वे के कारण नुकसान हो सकता है। इस परिस्थिति में जदयू और बीजेपी इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। बीजेपी और जेडीयू के नेता और मंत्री मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जमीनी स्तर पर हो रही समस्याओं की जानकारी दे चुके हैं। उन्होंने बताया है कि जमीन सर्वे के कारण जनता में सरकार के प्रति काफी नाराजगी है, जिससे चुनाव में इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में सरकार इस सर्वे को या तो कुछ समय के लिए टाल सकती है या इसे पूरी तरह से वापस भी ले सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में अंतिम फैसला लेना होगा।
विपक्ष रच रहा सरकार के खिलाफ़ षड्यंत्र
हाल ही में, जनसुराज के प्रवर्तक प्रशांत किशोर ने बिहार में जारी जमीन सर्वे को नीतीश सरकार के लिए एक बड़ी गलती करार दिया है। उनका कहना है कि इस गलती के चलते नीतीश कुमार को बिहार की जनता नकार देगी। दूसरी ओर, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस बात पर जोर दिया कि जमीन सर्वे का मकसद लोगों की जमीन छीनना नहीं बल्कि उन्हें राहत पहुँचाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोगों को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि जमीन जिस पर वे वर्षों से रह रहे हैं और जिसे उनके पुरखे जोत रहे हैं, उसे छीना जा सकता है।
अंत में, बिहार में जमीन सर्वे पर ब्रेक लगाने पर नितीश सरकार के तरफ से विचार किया जा रहा है. ऐसी संभावना है की इसे वापस भी लिया जा सकता है. अंतिम फैसला सीएम नीतीश को लेना है. वैसे आपको क्या लगता है. जमीन सर्वे का काम जारी रहना चाहिए या इसे रोक देना चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें! ऐसे और भी ताज़ा अपडेट को पाने के लिए हमारे WhatsApp चैनल को ज्वाइन कर सकते हैं. 🙂
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