Chhath Puja 2024 Kab Hai— हिंदू धर्म का छठ पूजा एक महत्वपूर्ण महापर्व है जो दिवाली के छह दिन बाद आता है। यह पर्व भक्ति और आस्था की गहराई को दर्शाता है। पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें शुद्धता और सात्विकता की झलक मिलती है, और इसका समापन सूर्य देव को अर्घ्य देकर होता है। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार को एकजुट करने वाला त्योहार भी है, जिसमें सभी घर के सदस्य साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए उनके सौभाग्य के लिए महत्वपूर्ण है। इस साल छठ पूजा का शुभ मुहूर्त और इसकी विशेषताएँ क्या हैं, इस परब विस्तृत जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़ें..
कब से शुरू होगा छठ पूजा 2024
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, छठ पूजा का महापर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस वर्ष, छठ पूजा की षष्ठी तिथि की शुरुआत 07 नवंबर को रात 12:41 मिनट पर होगी और 08 नवंबर को रात 12 बजे इसका समापन होगा। इस दौरान भक्तगण 07 नवंबर को शाम का अर्घ्य देंगे और फिर 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। यह समय और तिथियाँ व्रत को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करने में मदद करती हैं, जिससे भक्तों की आस्था और समर्पण में वृद्धि होती है।
बिहारियों के लिए छठ पूजा का क्या है महत्त्व
छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मैया की विशेष उपासना की जाती है, जो हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस पूजा में सूर्यदेव, जिन्हें जीवनदाता माना जाता है, को अर्घ्य देकर और छठी मैया, जिन्हें संतान की देवी के रूप में पूजा जाता है, की विधिवत आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं सिद्ध होने की बात कही गई है।
यह चार दिनों का व्रत सबसे अधिक कठिनाई वाला व्रत माना जाता है। छठ पूजा करने से भक्तों को न केवल मान-सम्मान में वृद्धि होती है, बल्कि सुख-समृद्धि और सौभाग्य में भी बढ़ोतरी होती है। इस उपासना के दौरान लोग अपनी संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हैं।
छठ पूजा पर आधारित पौराणिक कथाएँ
Chhath Puja Vrat Katha 1
पौराणिक काल में राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी लंबे समय तक संतान सुख से वंचित रहे। वे दोनों इस कारण अत्यधिक दुखी थे। राजा के मन में यह चिंता बनी रहती थी कि उनके वंश का क्या होगा। इसी दुविधा में उन्होंने महर्षि कश्यप से मिलने का निर्णय लिया और उनसे पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने का आग्रह किया। महर्षि ने यज्ञ करवाया और यज्ञ के बाद मालिनी को प्रसाद के रूप में खीर दी, जिसे खाने के बाद वह गर्भवती हुईं।
दुर्भाग्य से, जन्मे शिशु का निधन हो गया, जिससे राजा-रानी बहुत दुखी हुए। इसी दुःख की घड़ी में, जब राजा ने आत्महत्या करने की सोची, तभी देवी देवसेना, जिसे लोग षष्ठी देवी के नाम से भी जानते हैं, प्रकट हुईं। देवी ने राजा को समझाया कि वह संतान प्राप्ति के लिए उनकी पूजा करें। राजा ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को देवी की पूजा की। इस पूजा के प्रभाव से रानी फिर से गर्भवती हुईं और एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया। यही से छठ पर्व की शुरुआत हुई मानी जाती है, जो आज भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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Chhath Puja Vrat Katha 2
एक और कथा के अनुसार, जब धर्मराज युधिष्ठिर जुए में अपनी सारी संपत्ति और राज्य हार गए, तब द्रौपदी ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी के दिन देवी षष्ठी की पूजा की। द्रौपदी की भक्ति और पूजा से खुश होकर देवी षष्ठी ने उन्हें वरदान दिया कि बहुत जल्द ही पांडवों को उनका राजपाठ वापस मिलेगा।
यह कथा उस विश्वास को दर्शाती है कि सच्चे मन से की गई पूजा और आस्था से देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है, और वे भक्तों की पुकार पर अवश्य ही उनकी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। इस कथा के माध्यम से छठ पूजा की महत्वपूर्णता और आध्यात्मिक शक्ति को समझा जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यहां प्रस्तुत जानकारी पूरी तरह से धार्मिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है और यह केवल सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से दी गई है। hindimorcha.com इस जानकारी की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। इसलिए, इसे पढ़ते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि यह मात्र धार्मिक और पारंपरिक विचारों को साझा करने का एक माध्यम है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
कब है छठ पूजा 2024?
छठ पूजा 2024 का महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होता है। इस साल षष्ठी तिथि 07 नवंबर को रात 12:41 पर शुरू होगी और 08 नवंबर को रात 12 बजे समाप्त होगी।
छठ पूजा के दौरान कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
छठ पूजा में शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसके बाद खरना, संध्या और सुबह का अर्घ्य दिया जाता है। ये रीति-रिवाज भक्तों की आस्था और समर्पण को प्रदर्शित करते हैं।
छठ पूजा का बिहार में क्या महत्व है?
बिहार में छठ पूजा अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यहां छठी मैया और सूर्यदेव की उपासना से संतान सुख, सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामनाओं की पूर्ति होती है।
छठ पूजा का व्रत क्यों कठिन माना जाता है?
छठ पूजा का व्रत इसलिए कठिन माना जाता है क्योंकि यह चार दिनों तक चलता है और इसमें उपवासी को बिना पानी पिए सख्त अनुशासन में रहना पड़ता है।