Baby Corn Farming Business Idea: भारत में खेती का क्षेत्र निरंतर विकास कर रहा है और आज के आर्थिक युग में हर किसी की यही कोशिश होती है कि वे अधिक से अधिक कमाई करें। अगर आप भी खेती के जरिए अच्छी कमाई की राह देख रहे हैं, तो आज हम आपको बेबी कॉर्न की खेती के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप साल में तीन से चार बार उगा सकते हैं। बेबी कॉर्न न केवल पोषण से भरपूर होता है, बल्कि शहरी इलाकों में इसकी मांग काफी ज्यादा है। चाहे वह पांच स्टार होटल हों, पिज्जा या पास्ता की दुकानें हों या फिर रेस्टोरेंट, हर जगह बेबी कॉर्न की खास मांग देखने को मिलती है।
भारत में, गेहूं और चावल के बाद मक्का तीसरी सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है। खासकर उत्तरी भारत में, किसानों ने मक्के की खेती में काफी सफलता प्राप्त की है, और यह उनके लिए हर साल लाखों की आय का स्रोत बन चुका है। अब, बेबी कॉर्न की खेती (How to do Baby Corn Farming) की बात करें तो यह भी एक लाभकारी विकल्प हो सकता है। बेबी कॉर्न की खेती कैसे की जाती है और इससे आप कितनी कमाई कर सकते हैं, यह जानना आपके लिए फायदेमंद होगा। इस फसल को उगाना सिर्फ उपज ही नहीं बढ़ाता, बल्कि आर्थिक लाभ भी देता है।
कितने दिन में तैयार हो जाती है यह फसल
बेबी कॉर्न की खेती एक ऐसा काम है जो साल भर किया जा सकता है। यह दरअसल मक्के के छोटे, अपरिपक्व भुट्टे होते हैं। जब भुट्टों की सिल्क की लंबाई 1 से 3 सेंटीमीटर होती है, तब उन्हें सिल्क निकलने के 1 से 3 दिनों के भीतर काट लिया जाता है। इस फसल को साल में 3 से 4 बार उगाने का मौका मिलता है, और इसे पूरी तरह विकसित होने में लगभग 45 से 50 दिन लगते हैं। यह किसानों के लिए एक शानदार अवसर है, क्योंकि बेबी कॉर्न में कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन भरपूर होते हैं। इसे कच्चा या पकाकर दोनों तरीकों से खाया जा सकता है, जिससे यह खाने में बहुत फायदेमंद और स्वादिष्ट बनता है।
इस फसल से होता है किसानों को दोगुना फायदा
बेबी कॉर्न की खेती से किसानों को कई फायदें होते हैं। जब फसल तैयार हो जाती है, तो बचे हुए पौधों से पशुओं के लिए उत्तम चारा बनाया जा सकता है। किसान इसे हरे चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, और जब इसे काटकर सुखाया जाता है, तो थ्रेसर से सूखा भूसा भी प्राप्त किया जा सकता है। मक्के का चारा पशुओं के लिए बेहद पौष्टिक माना जाता है, और इसे खिलाने से उनकी दूध उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है। इस तरह, बेबी कॉर्न की खेती न केवल फसल से लाभ देती है, बल्कि पशुपालन में भी सहायक होती है।
इसमें कितने की आएगी लागत
एक एकड़ जमीन में बेबी कॉर्न की खेती करने पर लगभग 15,000 रुपये का खर्च आता है, जबकि इससे कमाई एक लाख रुपये तक हो सकती है। यदि किसान साल में 4 बार फसल लेते हैं, तो वे आसानी से 4 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। हालांकि, इस समय बेबी कॉर्न की बिक्री के लिए कोई व्यवस्थित सप्लाई चैन नहीं है, जिससे किसानों को बेचने में थोड़ी मुश्किलें आ सकती हैं। लेकिन जैसे-जैसे इसकी मांग बढ़ेगी, यह किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित हो सकता है। इस फसल को उगाने वाले किसानों को आने वाले समय में अच्छी आमदनी का अवसर मिल सकता है।
बेबी कॉर्न के लिए सरकार भी करेगी मदद
यदि आप बड़े स्तर पर खेती करने की योजना बना रहे हैं लेकिन पैसों की कमी महसूस कर रहे हैं, तो आप सरकार से किसान लोन ले सकते हैं। भारत सरकार बेबी कॉर्न और मक्के की खेती को प्रोत्साहित कर रही है, जिसके तहत किसानों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। इस विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप iimr.icar.gov.in पर जाकर देख सकते हैं। यह एक शानदार अवसर है जिससे आप अपने खेती के सपनों को साकार कर सकते हैं।
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FAQs
बेबी कॉर्न की खेती कितनी बार की जा सकती है?
बेबी कॉर्न की खेती साल में 3 से 4 बार की जा सकती है, जिससे किसान अच्छे मुनाफे कमा सकते हैं।
बेबी कॉर्न की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
इस फसल को पूरी तरह विकसित होने में लगभग 45 से 50 दिन लगते हैं। जब भुट्टों की सिल्क की लंबाई 1 से 3 सेंटीमीटर हो जाती है, तब उन्हें काटा जाता है।
बेबी कॉर्न की खेती में लागत कितनी आती है?
एक एकड़ में बेबी कॉर्न की खेती करने पर लगभग 15,000 रुपये का खर्च आता है, जबकि इससे कमाई एक लाख रुपये तक हो सकती है।
बेबी कॉर्न की खेती से किसानों को क्या लाभ होते हैं?
बेबी कॉर्न की खेती से न केवल फसल की बिक्री होती है, बल्कि बचे हुए पौधों से पशुओं के लिए उत्तम चारा भी बनाया जा सकता है। इससे पशुपालन में भी लाभ होता है।