Strawberry farming Business Idea— आज के आधुनिक युग में कई लोग अपनी नियमित नौकरियाँ छोड़कर खेती की ओर मुड़ रहे हैं। वे पारंपरिक खेती की जगह नई और अनोखी फसलों की ओर रुचि दिखा रहे हैं, जिनसे उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है। अगर आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं तो स्ट्रॉबेरी की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। स्ट्रॉबेरी की मांग भारत भर में तेजी से बढ़ रही है और इससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं। यह Business Idea न केवल आपकी आमदनी बढ़ा सकता है, बल्कि आपको खेती की नई तकनीकों से भी परिचित करवा सकता है।
इन जगहों पर स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान कर रहे मोटी कमाई
कई भारतीय राज्यों जैसे कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, और पश्चिम बंगाल में किसानों का रुझान स्ट्रॉबेरी खेती की ओर बढ़ रहा है, जिससे उनकी आमदनी में खासा इजाफा हो रहा है। खासतौर पर झारखंड सरकार इस खेती को प्रोत्साहित करने में जोर दे रही है और महिला किसानों को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पहल से महिला किसान समुदाय को भी आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।
स्ट्रॉबेरी की उन्नत किस्में
स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जो विटामिन-सी और आयरन से भरपूर होता है। इसकी कुछ विशेष किस्में जैसे कि ओलंपस, हुड और शुक्सान, जिन्हें उनके उत्कृष्ट स्वाद और चटक लाल रंग के लिए जाना जाता है, आइसक्रीम बनाने के लिए विशेष रूप से पसंद की जाती हैं। स्ट्रॉबेरी को विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में सितंबर से अक्टूबर के बीच लगाया जाता है, क्योंकि इस समय इसकी उगाई जाने वाली स्थितियाँ सबसे उपयुक्त होती हैं।
विश्व भर में स्ट्रॉबेरी की 600 से अधिक किस्में हैं, लेकिन भारत में कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, स्वीट चार्ली, एलिस्ता और फेयर फॉक्स जैसी किस्में खेती के लिए अधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि ये यहाँ के मौसमी हालात के अनुकूल होती हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती का क्या है सही तरीका
स्ट्रॉबेरी की खेती में मार्च-अप्रैल तक फसल प्राप्त होती है। खेत में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाते समय प्रत्येक पौधे के बीच कम से कम 30 सेंटीमीटर की दूरी आवश्यक होती है। एक एकड़ जमीन पर लगभग 22 हजार स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए जा सकते हैं, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
स्ट्रॉबेरी के फलों को उनके आकार, वजन और रंग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। फलों को 32 डिग्री सेल्सियस पर कोल्ड स्टोरेज में 10 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि स्ट्रॉबेरी को दूर के स्थान पर भेजना हो, तो 2 घंटे के भीतर इसे 40 डिग्री सेल्सियस पर प्री कूल कर लेना चाहिए।
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इसके खेती में कितना आता है खर्च
स्ट्रॉबेरी की खेती में निवेश अधिक होता है। एक एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी उगाने में लगभग 6 लाख रुपये का खर्च आता है। इस खर्च की प्रमुख वजह यह है कि स्ट्रॉबेरी के पौधे काफी महंगे होते हैं। इसके अलावा, खेत में मल्चिंग के लिए उच्च क्वालिटी की प्लास्टिक शीट बिछानी पड़ती है, जिसकी लागत भी ज्यादा होती है। साथ ही, स्ट्रॉबेरी को पैक करने के लिए जरूरी डिब्बे और ट्रे भी काफी महंगे पड़ते हैं।
इसके खेती से कितनी होगी कमाई
स्ट्रॉबेरी की खेती में भले ही खर्च ज्यादा हो, लेकिन इससे होने वाली कमाई भी काफी मोटी होती है। यदि मौसम अनुकूल रहे और स्ट्रॉबेरी की उचित देखभाल की जाए तो एक एकड़ खेत से कम से कम 15 लाख रुपये की आय हो सकती है। इस प्रकार, छह महीने की अवधि में, एक एकड़ स्ट्रॉबेरी की खेती से लगभग 9 लाख रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हो सकता है।
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FAQs on Strawberry farming Business Idea
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय सितंबर से अक्टूबर का महीना होता है, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में, जहां मौसम इस फसल के लिए अनुकूल रहता है।
स्ट्रॉबेरी की खेती में कितना निवेश आवश्यक है?
एक एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए लगभग 6 लाख रुपये का निवेश जरूरी होता है। इसमें पौधे, मल्चिंग के लिए प्लास्टिक शीट और पैकिंग मटेरियल की लागत शामिल है।
स्ट्रॉबेरी खेती से कितनी कमाई संभव है?
यदि सब कुछ उचित रूप से किया जाए तो एक एकड़ स्ट्रॉबेरी खेती से लगभग 15 लाख रुपये की आय हो सकती है, जिससे लगभग 9 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हो सकता है।
स्ट्रॉबेरी की कौन-कौन सी किस्में भारत में लोकप्रिय हैं?
भारत में कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, स्वीट चार्ली, एलिस्ता, और फेयर फॉक्स जैसी किस्में लोकप्रिय हैं, जो यहाँ के मौसमी हालात के अनुकूल होती हैं।
स्ट्रॉबेरी की फसल की देखभाल के लिए क्या विशेष उपाय करने पड़ते हैं?
स्ट्रॉबेरी की फसल की देखभाल के लिए सही समय पर पानी देना, खरपतवार नियंत्रण करना, और फलों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए उचित पेस्टिसाइड और फंगीसाइड का प्रयोग करना शामिल है। साथ ही, फसल की कटाई के बाद उचित स्टोरेज की व्यवस्था भी जरूरी है।