Medicine Price Hike in India— दोस्तों, राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण अथॉरिटी (NPPA) ने हाल ही में आठ दवाओं के ग्यारह फॉर्मूलों की कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ाने की मंजूरी दी है। इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की आवश्यकताओं के लिए दवाएं हमेशा उपलब्ध रहें। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, इस फैसले को औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के पैरा 19 के तहत एक विशेष बैठक में लिया गया।
![Medicine Price Hike in India— आम जनता पर सरकार का फिर चलेगा डंडा, कुछ ख़ास दवाओं के दाम में 50% तक की वृद्धि, NPPA से मिली मंजूरी](https://hindimorcha.com/wp-content/uploads/2024/10/Medicine-Price-Hike-in-India-1024x606.webp)
यह कदम दवा निर्माताओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को आवश्यक दवाएं उचित मूल्य पर मिल सकें। लेकिन यह कैसा उचित मूल्य है. यह बात मेरे समझ से परे हैं. यहाँ कुल मिलाकर आम जनता को परेशां करने की निति सरकार द्वारा तैयार की गयी है. आइये इसके बारे में और बताते हैं..
दवा कंपनियों के हित में सरकार का अहम् फैसला
दवा निर्माता कंपनियों ने बताया है कि दवाओं के निर्माण में आने वाली लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण कुछ आवश्यक दवाओं के दाम में इजाफा किया गया है। इसमें विशेष रूप से Asthma, Glaucoma, Thalassemia, Tuberculosis (TB) और Mental health से संबंधित दवाएं शामिल हैं, जिनकी कई Compositions की कीमतें काफी ऊंची हो गई हैं।
इस कदम को उठाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि बढ़ती लागत के बावजूद इन जीवनरक्षक दवाओं को बाजार में निरंतर उपलब्ध कराया जा सके ताकि मरीजों को उनकी जरूरत के समय ये दवाएं मिल सकें।
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किन दवाओं के दाम में होगी वृद्धि
राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण अथॉरिटी (NPPA) ने कुछ विशेष दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की मंजूरी दी है। इनमें बेंजिल पेनिसिलिन 10 लाख IU इंजेक्शन, एट्रोपिन इंजेक्शन 0.6 mg/ml, स्ट्रेप्टोमाइसिन पाउडर (750 mg और 1000 mg के लिए), साल्बुटामोल टैबलेट (2 mg और 4 mg), और रेस्पिरेटर सॉल्यूशन (5 mg/ml), पिलोकार्पाइन 2% ड्रॉप्स, सेफैड्रोक्सिल टैबलेट 500 mg, डेसफेरियोक्सामाइन 500 mg के लिए इंजेक्शन, और लिथियम टैबलेट 300 mg शामिल हैं।
इन दवाओं की कीमतों में वृद्धि का उद्देश्य दवा उत्पादन की बढ़ती लागत को संतुलित करना और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करना है। इससे पहले भी, वर्ष 2019 और 2021 में इन दवाओं के दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ाए जा चुके हैं। इस बार भी 50% तक दाम बढ़ाने के फिराक में सरकार है और बढ़ाएगी भी, इसमें कोई दो राय नही है!
आवश्यक दवाओं में कौन-कौनसी दवावें शामिल
सरकार द्वारा नियंत्रित दवाओं की सूची में उन दवाओं को शामिल किया गया है जिनका उपयोग अधिकांश लोगों द्वारा किया जाता है। इस सूची में एंटी-कैंसर दवाएं भी शामिल हैं, जो जीवनरक्षक होती हैं। इन दवाओं की कीमतें सरकारी नियंत्रण में रहती हैं, और निर्धारित नीति के अनुसार, दवा कंपनियां इनकी कीमतों में एक वर्ष में केवल 10 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकती हैं। इस प्रकार की नीति सुनिश्चित करती है कि सभी आवश्यक दवाएं जनता के लिए वहनीय और सुलभ रहें, और स्वास्थ्य सेवाओं में कोई व्यवधान न आए।
पेनकिलर और एंटीबायोटिक दवाओं का बढ़ चूका है दाम
1 अप्रैल से, 800 दवाओं की कीमतों में वृद्धि हो गई है। इसमें शामिल हैं पेनकिलर, एंटीबायोटिक, और एंटी-इंफेक्शन दवाएं। यह बढ़ोतरी आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) के तहत की गई है। पिछले साल और 2022 में, इन दवाओं की कीमतों में क्रमशः 12% और 10% की भारी वृद्धि देखी गई थी।
सरकार के इस कठोर फैसले के बारे में आपकी क्या राय है हमें कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें और इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. ऐसे और भी जानकारी के लिए हमें WhatsApp चैनल पर जरुर फॉलो कर लें!
FAQs Medicine Price Hike in India
Why were the prices of medications increased?
The National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) recently approved a price increase of up to 50% for eleven formulas of eight drugs. This decision was taken to ensure the continuous availability of these drugs for public health needs.
Which types of medications are affected by this price hike?
The medications affected include essential drugs used for treating asthma, glaucoma, thalassemia, tuberculosis (TB), and mental health disorders.
What is the government’s role in controlling drug prices?
Drug prices in India are regulated under the Drug Price Control Order (DPCO), 2013, which allows the government to cap the prices of essential medicines listed under the National List of Essential Medicines (NLEM).
How much can pharmaceutical companies increase prices annually?
Under the current regulations, pharmaceutical companies are allowed to increase the prices of drugs (non-essential drugs) under government control by only up to 10% annually.