Passion Fruit Farming Idea— दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जैसे कि ब्राज़ील, इक्वाडोर, और कोलंबिया से आया पैशन फ्रूट, भारत में अपनी अद्वितीय स्वाद और पोषण तत्वों के कारण तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है। इसकी बढ़ती मांग के चलते भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों जैसे असम, नागालैंड, और मणिपुर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी इसकी खेती शुरू की गई है।
यह फल विशेष रूप से 700 से 2000 मीटर की ऊँचाई पर उगाया जा सकता है, जिससे यह मध्यम और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों के लिए एक लाभकारी फसल बन जाता है। पैशन फ्रूट की खेती से किसानों को अच्छी कमाई का मौका मिलता है, और इसके गुणों के कारण बाज़ार में इसकी कीमत भी ऊंची रहती है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग के विशेषज्ञ, ईश्वर सिंह ने हाल ही में जानकारी दी कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों के किसान अब पैशन फ्रूट की खेती को अपना रहे हैं। इसे स्थानीय भाषा में कृष्णकमल फल के नाम से भी जाना जाता है।
यह फल अपने उत्कृष्ट पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें विटामिन और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा शामिल होती है। इसकी खेती से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि यह स्थानीय बाजार में भी एक विशेष स्थान बनाता जा रहा है।
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कैसे की जाती है इसकी खेती
गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विशेषज्ञ, ईश्वर सिंह, के अनुसार पैशन फ्रूट की खेती के लिए इष्टतम तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस होता है। इस फल की खेती बीज और कटिंग दोनों तरीकों से की जा सकती है। बीज विधि में, फलों से बीज निकालकर उन्हें सुखाया जाता है, और फिर ये बीज मार्च से अप्रैल के दौरान पॉलीहाउस में बोए जाते हैं।
वहीं, कटिंग विधि में, बेल का एक भाग काटकर पॉलीबैग में लगाया जाता है। दोनों ही पद्धतियों से तैयार पौधे लगभग 4 महीने में खेत में लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं, जिससे किसानों को व्यवसायिक लाभ होता है।
1 बार लगाने पर 10 वर्ष तक मिलता है फल
खेत में पैशन फ्रूट की बेल लगाने से पहले, 45 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा तैयार करना आवश्यक है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में कम्पोस्ट मिलाई जाती है। इससे बेल को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। खेत में लगाने के 10 महीने बाद बेल पूरी तरह से विकसित हो जाती है और उस पर फूल आने लगते हैं।
16 से 18 महीनों के भीतर यह फल देना शुरू कर देती है, और अक्टूबर महीने में फल पककर तैयार हो जाते हैं। एक बार बेल लगाने के बाद, यह अगले दस वर्षों तक लगातार फल देती रहती है। अच्छी उपज के लिए बेल की कटिंग समय-समय पर करना ज़रूरी होता है।
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FAQs
Why is Passion Fruit Farming becoming popular in India?
Passion fruit farming is gaining popularity due to its unique taste, high nutritional value, and the increasing market demand in India. Farmers in regions like the North East and Uttarakhand are cultivating it as a profitable crop.
What are the ideal conditions for cultivating Passion Fruit?
Passion fruit thrives at altitudes of 700 to 2000 meters with temperatures between 15 to 20 degrees Celsius. This makes it suitable for medium and high mountainous regions, offering farmers in these areas a lucrative opportunity.